Kathani or karni story
Kathani or karni story
करणी माता की गाथा: एक ऐतिहासिक कथा
प्रस्तावना:
राजस्थान के मरुस्थल में, जहाँ रेत के टीले सूर्य के ताप में चमकते थे, वहाँ एक छोटा सा गाँव था, जिसका नाम था ‘जोधपुर’. इस गाँव में एक साधारण परिवार रहता था, जिसमें एक सुंदर और कुशल बालिका थी, जिसका नाम था “करनी”.
करनी का बचपन:
करनी का बचपन अपने भाइयों के बीच खेलने-कूदने और गाँव की रौनक में बीतता था। वह एक बहादुर और न्यायप्रिय बालिका थी, जो हर गरीब और दुखी व्यक्ति की मदद करने के लिए तत्पर रहती थी। वह अपनी माता-पिता की आज्ञाकारी और अपने भाइयों की प्रेमपूर्ण थी।
एक अजीब घटना:
एक दिन, जब करनी अपने भाइयों के साथ खेल रही थी, तब उसके आगे एक सफ़ेद भेड़िया दौड़ता हुआ आया। भेड़िया बहुत घायल था और खून बह रहा था। करनी को भेड़िये पर दया आई और वह उसे अपने घर ले गई और उसका इलाज करने लगी।
करनी की शक्ति:
करनी का हृदय बहुत पवित्र था और वह हर जीव के प्रति दया रखती थी। जब करनी भेड़िये का इलाज कर रही थी, तो उसके हाथों से एक अलौकिक शक्ति निकलने लगी, जिससे भेड़िया तेज़ी से स्वस्थ होने लगा।
एक नए युग का प्रारंभ:
भेड़िया के स्वस्थ होने पर गाँव के लोग करनी की शक्ति से हैरान हो गए। उनकी मान्यता थी कि करनी भगवती दुर्गा का अवतार है। करनी ने गाँव के लोगों को अपना आशीर्वाद दिया और उन्हें न्याय और सत्य पर विश्वास रखने का संदेश दिया।
करनी माता का मंदिर:
करनी के मृत्यु के बाद, गाँव के लोगों ने उनके स्मरण में एक मंदिर बनवाया, जिसे “करणी माता मंदिर” के नाम से जाना जाता है। आज भी, लोग इस मंदिर में आकर करनी माता का आशीर्वाद लेते हैं और उनकी शक्ति और न्यायप्रियता की कथाएँ सुनते हैं।
निष्कर्ष:
करनी माता की कथा सिर्फ़ एक ऐतिहासिक कथा नहीं, बल्कि एक प्रेरणा की कथा भी है। वह हमें सिखाती हैं कि हम हर जीव के प्रति दया रखें और न्याय और सत्य पर विश्वास रखें।