Aarvi Offset fundar Off ketan Kachrola Daughter S
Author:unloginuser Time:2024/09/04 Read: 2304Aarvi Offset fundar Off ketan Kachrola Daughter
Speech for Aarvi for Printing & Designing
आर्वि की कहानी: छपाई और डिजाइन का सफ़र
सन् १९४७। भारत आजाद हो चुका था, लेकिन अंदरूनी तौर पर देश अभी भी युद्ध के बाद के ज़ख्मों से जूझ रहा था। मुंबई के एक छोटे से मोहल्ले में, कचरोला परिवार एक छोटी सी प्रिंटिंग प्रेस चलाता था। केतन कचरोला, परिवार के मुखिया, एक सच्चा कलाकार थे, जिनके हाथों में कला की छाप थी। उनकी बेटी, आर्वि, एक जिज्ञासु बच्ची थी, जिसके मन में छपाई और डिजाइन के लिए एक अटूट प्रेम था।
आर्वि हर दिन अपने पिता के साथ प्रेस पर समय बिताती। वह उनके काम को गौर से देखती, उनके हाथों की कलाकारी को निहारती, और कागज पर रंगों के जादू को समझती। प्रेस में बिताया हर पल आर्वि को डिजाइन और छपाई की दुनिया से जुड़ाता गया।
जब आर्वि बड़ी हुई, तो उसने अपने पिता से छपाई की कला सीखी। उसने कागज के रंगों को, अक्षरों के आकार को, और छपाई की तकनीकों को समझा। उसके पिता की कला में, उसने अपने सपनों को देखा।
एक दिन, एक बड़ी प्रिंटिंग कंपनी के मालिक ने केतन कचरोला के काम की तारीफ़ की और उसे अपने साथ काम करने का प्रस्ताव दिया। लेकिन केतन अपने छोटे से व्यवसाय से जुड़े थे, अपने काम से प्यार करते थे, और आर्वि के सपनों को पूरा करना चाहते थे।
उसने आर्वि को ही प्रस्ताव स्वीकार करने के लिए कहा। आर्वि, अपनी जिम्मेदारियों से भरी, कुछ देर सोचने के बाद, अपने पिता के साथ ही प्रस्ताव स्वीकार करने का फैसला किया।
इस तरह, आर्वि और उसके पिता मिलकर नई प्रिंटिंग कंपनी में काम करने लगे। आर्वि की प्रतिभा और उनके पिता के अनुभव ने कंपनी को ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। उन्होंने नए डिजाइन, नए रंग, और नई तकनीकों का इस्तेमाल करके कंपनी को एक अलग पहचान दी।
आर्वि और केतन कचरोला की प्रेरणादायक कहानी आज भी प्रिंटिंग और डिजाइन के क्षेत्र में चमकती है। एक छोटी सी प्रिंटिंग प्रेस से शुरू हुई यह यात्रा, आज एक सफल व्यवसाय का रूप ले चुकी है, जो आर्वि और केतन की मेहनत, लगन और कला के प्रति समर्पण का प्रमाण है।