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Parivar

Author:unloginuser Time:2024/09/04 Read: 4067

द ग्राम वासियों का परिवार

धूप से झुलसी ज़मीन पर सूखा पड़ा खेत, और उसमें लगे झुंझलाहट भरे किसान – यह दृश्य हर साल दोहराता था, सालों से। पर इस साल कुछ अलग था। गांव के लोग, जो अक्सर एक दूसरे पर भरोसा नहीं करते थे, एक साथ खड़े थे, एक दुश्मन के खिलाफ।

दुश्मन था सूखा, जिसने उनके खेतों को तबाह कर दिया था। गांव का सरपंच, बुढ्ढा रामचंद, गंभीर चेहरे से गांववासियों को संबोधित कर रहा था। “हमने अकाल देखा है, हमने कठिनाइयों का सामना किया है, पर इस बार, हमें एक दूसरे पर भरोसा करना होगा।”

रामचंद के शब्दों में सच्चाई थी। गांव में दलितों और ऊंची जाति के लोगों के बीच, अमीर और गरीबों के बीच, हमेशा से एक खाई रही थी। पर सूखे ने उन्हें एक साथ ला दिया था।

उन्होंने मिलकर एक कुआं खोदने का फैसला लिया। यह काम आसान नहीं था, पर गांव के लोग, पुरुष, महिलाएं, बच्चे सब मिलकर, एक साथ मेहनत करते रहे। जब कुआं पूरा हुआ, तो उनके चेहरे आशा से जगमगा उठे।

धीरे-धीरे, उनकी मेहनत रंग लाने लगी। खेतों में फसल उगने लगी, गांव में खुशी का माहौल छा गया।

लेकिन खुशी अल्पकालिक थी। उनके गांव पर एक और मुसीबत टूट पड़ी – एक जमींदार ने गांव की जमीन पर अपना दावा जताया।

गांववाले डर गए। उनका सब कुछ खत्म होने वाला था।

पर इसी मुश्किल वक्त में, रामचंद ने फिर गांववासियों को एक साथ खड़ा होने का आह्वान किया। उनके हौसले में एक नया जीवन फूट पड़ा। वे जमींदार के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार थे।

गांव के लड़कों ने ढोल बजाए, महिलाओं ने गीत गाए, और पूरे गांव में एक ऐसी ऊर्जा छा गई जिसे कोई नहीं रोक सकता था।

उन्होंने जमींदार के घर का घेराव कर दिया। उनकी शक्ति और एकात्मता ने जमींदार को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।

इस लड़ाई ने गांववासियों के बीच का अंतर मिटा दिया। उनका परिवार और मजबूत हो गया था। उन्होंने सीखा था कि एक साथ खड़े होकर वे किसी भी मुश्किल का सामना कर सकते हैं।

यह गांव अब बस एक गांव नहीं था। यह एक परिवार था। एक परिवार जो अपनी जमीन और अपनी अस्मिता के लिए लड़ने के लिए तैयार था।